पढ़ न ऐ हम-नशीं विसाल का शेर
पढ़ न ऐ हम-नशीं विसाल का शेर
जिस से रंगीं हो ख़त्त-ओ-ख़ाल का शेर
यूँ तलाशी जो चाहे लिख जावे
लेक मुश्किल है बोल-चाल का शेर
तूल खींचा बयान-ए-नक-सिक ने
मैं लिखा उस के बाल बाल का शेर
उस के इश्क़-ए-कमर में ऐ यारो
हम तो कहने लगे ख़याल का शेर
सो ख़याली भी ऐसा जिस के हुज़ूर
गर्द है मीरज़ा-'जलाल' का शेर
'मुसहफ़ी' तेरे शेअर-ए-दिल-कश को
अब तो लगता नहीं कमाल का शेर
(340) Peoples Rate This