मुझ से इक बात किया कीजिए बस
मुझ से इक बात किया कीजिए बस
इस क़दर मेहर-ओ-वफ़ा कीजिए बस
आफ़रीं सामने आँखों के मिरी
यूँ ही ता-देर रहा कीजिए बस
दिल-ए-बीमार हुआ अब चंगा
दोस्तो तर्क-ए-दवा कीजिए बस
ख़ून-ए-आशिक़ से ये परहेज़ उसे
आशन-ए-कफ़-ए-पा कीजिए बस
शर्म ता-चंद हया भी कब तक
मुँह से बुर्के को जुदा कीजिए बस
गर ज़बाँ अपनी हो गोया तो मुदाम
तालेओं का ही गिला कीजिए बस
तुम मियाँ 'मुसहफ़ी' रुख़्सत तो हुए
अब खड़े क्यूँ हो दुआ कीजिए बस
(313) Peoples Rate This