क्यूँ कि कहिए कि अदा-बंदी है
क्यूँ कि कहिए कि अदा-बंदी है
शाएरी क्या है हवा-बंदी है
ख़म-ए-गेसू को छुआ था किस के
शब से गुलशन में सबा-बंदी है
क्यूँकि हम ख़ून न रोएँ शब-ए-ईद
यार मशग़ूल-ए-हिना-ए-बंदी है
दर पे बैठे हैं तिरे बे-ज़ंजीर
ये अजब तरह की पाबंदी है
नहीं पढ़ता मिरा नुस्ख़ा अत्तार
बस-कि मसरूफ़-ए-दवा-बंदी है
शोख़ मज़मूँ से हज़र करते हैं
शेर में जिन के हया-बंदी है
मुज़्दा ऐ हसरत-ए-नज़्ज़ारा कि वाँ
गिर्द चिलमन के रिदा-बंदी है
हर नफ़स ताज़ा ग़ज़ल कहते हैं
हर नफ़स ताज़ा नवा-बंदी है
'मुसहफ़ी' शेर में तो याद हमें
ज़ोर-सूरत की अदा-बंदी है
(341) Peoples Rate This