Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f680351fb7d75141cc8b7d08d8766b2d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इस गुलशन-ए-पुर-ख़ार से मानिंद-ए-सबा भाग - मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी कविता - Darsaal

इस गुलशन-ए-पुर-ख़ार से मानिंद-ए-सबा भाग

इस गुलशन-ए-पुर-ख़ार से मानिंद-ए-सबा भाग

वहशत यही कहती है कि ज़ंजीर तुड़ा भाग

गिरते थे ख़रीदार कब इस तरह से उस पर

पाँव से तिरे लगते ही मेहंदी को लगा भाग

शोख़ी कहूँ क्या तेरे तसव्वुर की कि हे हे

शब सामने आ कर मिरे आगे से गया भाग

जब कब्क-ए-दरी देखे है रफ़्तार को उस की

कहता है यही जी में ''ये रफ़्तार उड़ा भाग''

ज़ाहिद जो हुआ कर के वुज़ू हौज़ पे क़ाएम

इक रिंद को सूझी कि तू अब उस को गिरा भाग

ठहरा जो ज़रा बहर-ए-मोहब्बत पे मैं जा कर

आई लब-ए-साहिल से यही उस के सदा भाग

ऐ 'मुसहफ़ी' है मार-ए-फ़लक रहज़न-ए-मर्दुम

तू भाग सके उस से तो अज़-बहर-ए-ख़ुदा भाग

(318) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Mushafi Ghulam Hamdani. is written by Mushafi Ghulam Hamdani. Complete Poem in Hindi by Mushafi Ghulam Hamdani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.