दिल में है उस के मुद्दई का इश्क़
दिल में है उस के मुद्दई का इश्क़
ख़ाक समझे है वो किसी का इश्क़
अच्छी सूरत का हूँ मैं दीवाना
ने मुझे हूर ने परी का इश्क़
क्यूँ ख़फ़ा हम से हो कि होता है
आदमी को ही आदमी का इश्क़
जान जाती है हर अदा पे चली
न सुना ऐसी रफ़्तगी का इश्क़
ख़ूब रोज़-ए-तलब हैं और हमें
ख़ार रखता है मुफ़्लिसी का इश्क़
अपने मौसम में कैसा होता है
नौनिहालों को सर-कशी का इश्क़
'मुसहफ़ी' इक ग़ज़ल तू और भी लिख
गर तुझे है रक़म-ज़नी का इश्क़
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