भरी आती हैं हर घड़ी आँखें
गोया सावन की हैं झड़ी आँखें
नर्गिस आठ आठ आँसू रोती है
याद कर वो बड़ी बड़ी आँखें
शरर-अफ़्शानी-ए-सरिश्क से रात
थीं मिरी जैसे फुलझड़ी आँखें
जूँ क़लम-रौ रही हैं अश्क-ए-सियाह
देख इस मिस्सी की धड़ी आँखें
'मुसहफ़ी' देख बद बला है वो शोख़
न मिला उस से हर घड़ी आँखें