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मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी Couplets In Hindi - Best मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी Couplets Shayari & Poems - Page 16 - Darsaal

Coupletss of Mushafi Ghulam Hamdani (page 16)

Coupletss of Mushafi Ghulam Hamdani (page 16)
नाममुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
अंग्रेज़ी नामMushafi Ghulam Hamdani
जन्म की तारीख1751
मौत की तिथि1824
जन्म स्थानAmroha

इक हाल हो तो यारो उस का बयाँ करें हम

इक दिन तो लिपट जाए तसव्वुर ही से तेरे

इक दर्द-ए-मोहब्बत है कि जाता नहीं वर्ना

इक बिजली की कौंद हम ने देखी

दुख़्तर-ए-रज़ की हूँ सोहबत का मुबाशिर क्यूँ-कर

दो तीन दम-ए-सर्द भरे हैं तो वो बोले

दिन को है सहरा-नवर्दी से हमें काम ऐ रफ़ीक़

दिल्ली पे रोना आता है करता हूँ जब निगाह

दिल्ली में अपना था जो कुछ अस्बाब रह गया

दिल-ए-मायूस को पहने हुए आती हैं नज़र

दिल उलझता रहा ता-सुब्ह हमारा शब को

दिल ले गया है मेरा वो सीम-तन चुरा कर

दिल ख़ुश न हुआ ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ से निकल कर

दिल के आईने की हम लेते हैं तब है है ख़बर

दिल ही दिल में याँ मोहब्बत अपना घर करती रही

दिल दुखा ही करे है सीने में

दिल डूब गया टूट गया सब्र का लंगर

दिल और सियह हो गए माह-ए-रमज़ाँ में

ध्यान बाँधूँ हूँ जो मैं उस की हम-आग़ोशी का

ढूँढता है मुझे वो तेग़ लिए और मैं वहीं

धोया गया तमाम हमारा ग़ुबार-ए-दिल

धो डालिए ख़ून 'मुसहफ़ी' का

ढे जाने का कुछ घर के मुझे ग़म नहीं इतना

देखना कम-निगही कीजियो मत ऐ साक़ी

देखें तो क्यूँकर वो काफ़िर दर तक अपने न आवेगा

देख कर हम को न पर्दे में तू छुप जाया कर

दौलत-ए-फ़क़्र-ओ-फ़ना से हैं तवंगर हम लोग

दस्त-ए-शिकस्ता अपना न पहुँचा कभी दरेग़

दारुश्शफ़ा-ए-इश्क़ में ले जा के हम को इश्क़

दर्द-ओ-ग़म को भी है नसीबा शर्त

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