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मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी Couplets In Hindi - Best मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी Couplets Shayari & Poems - Page 14 - Darsaal

Coupletss of Mushafi Ghulam Hamdani (page 14)

Coupletss of Mushafi Ghulam Hamdani (page 14)
नाममुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
अंग्रेज़ी नामMushafi Ghulam Hamdani
जन्म की तारीख1751
मौत की तिथि1824
जन्म स्थानAmroha

हम गबरू हम मुसलमाँ हम जम्अ हम परेशाँ

हम भी ऐ जान-ए-मन इतने तो नहीं नाकारा

होवे न अज़ाब उस पे कभी जिस के पस-ए-मर्ग

होती नहीं है दिल को तसल्ली किसी तरह

होता है मुसाफ़िर को दो-राहे में तवक़्क़ुफ़

होश उड़ जाएँगे ऐ ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ तेरे

होंटों तक आते आते हुई वो भी सर्द आह

हिन्दोस्ताँ में दौलत ओ हशमत जो कुछ कि थी

हाथों से उस के शीशा-ए-दिल चूर है मिरा

हाथ दोनों कफ़-ए-अफ़्सोस की सूरत लिक्खे

हसरत पे उस मुसाफ़िर-ए-बे-कस की रोइए

हरगिज़ रहा न काफ़िर ओ मोमिन से उस को काम

हरगिज़ न मुझ से साफ़ हुआ यार या नसीब

हरगिज़ किया न बाद-ए-ख़िज़ाँ का भी इंतिज़ार

हर्बा है आशिक़ों का फ़क़त आह-ए-पेचदार

हर दम पुकारते हो किनाए से क्या मियाँ

हर चंद अमरदों में है इक राह का मज़ा

हम-सफ़ीरों से सबा कहियो कि तुम में भी कभी

हमेशा शेर कहना काम था वाला-निज़ादों का

हल्क़ा-ए-ज़ंजीर से निकला न ये पा-ए-जुनूँ

हैराँ हूँ इस क़दर कि शब-ए-वस्ल भी मुझे

हैं यादगार-ए-आलम-ए-फ़ानी ये दिनों चीज़

है ये फ़लक-ए-सिफ़्ला वो फीका सा फ़रंगी

है यहाँ किस को दिमाग़ अंजुमन-आराई का

है तिरी कू में ख़बर हश्र के हंगामे की

है रोज़-ए-पंज-शम्बा तू फ़ातिहा दिला दे

है मौसम-ए-बहार का आग़ाज़ क़हर है

है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से

गुलशन में हवा से जो खुला यार का सीना

गुल ही इस बाग़ से जाने पे नहीं बैठा कुछ

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