मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी (page 23)
नाम | मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mushafi Ghulam Hamdani |
जन्म की तारीख | 1751 |
मौत की तिथि | 1824 |
जन्म स्थान | Amroha |
ना-तवानी के सबब याँ किस से उट्ठा जाए है
नसीम-ए-सुब्ह-ए-चमन से इधर नहीं आती
नसीबों से कोई गर मिल गया है
नर्मी-ए-बालिश-ए-पर हम को नहीं भाती है
नख़्ल लाले जा जब ज़मीं से उठा
नहीं करती असर फ़रियाद मेरी
न वो वादा-ए-सर-ए-राह है न वो दोस्ती न निबाह है
न समझो तुम कि मैं दीवाना वीराने में रहता हूँ
न प्यारे ऊपर ऊपर माल हर सुब्ह-ओ-मसा चक्खो
न पूछ इश्क़ के सदमे उठाए हैं क्या क्या
मुश्ताक़ ही दिल बरसों उस ग़ुंचा-दहन का था
मुँह में जिस के तू शब-ए-वस्ल ज़बाँ देता है
मुँह छुपाओ न तुम नक़ाब में जान
मुख-फाट मुँह पे खाएँगे तलवार हो सो हो
मुझ से इक बात किया कीजिए बस
मुद्दत से हूँ मैं सर-ख़ुश-ए-सहबा-ए-शाएरी
मोहब्बत ने किया क्या न आनें निकालीं
मियाँ सब्र-आज़माई हो चुकी बस
'मीर' क्या चीज़ है 'सौदा' क्या है
मेरी सी तू ने गुल से न गर ऐ सबा कही
मज़हब की मेरे यार अगर जुस्तुजू करें
मौज-ए-निकहत की सबा देख सवारी तय्यार
मसलख़-ए-इश्क़ में खिंचती है ख़ुश-इक़बाल की खाल
माशूक़ा-ए-गुल नक़ाब में है
मख़्लूक़ हूँ या ख़ालिक़-ए-मख़्लूक़-नुमा हूँ
मैं पहरों घर में पड़ा दिल से बात करता हूँ
लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है
लिए आदम ने अपने बेटे पाँच
लेने लगे जो चुटकी यक-बार बैठे बैठे
लेखे की याँ बही न ज़र-ओ-माल की किताब