रात ख़्वाबों ने परेशाँ कर दिया
सुब्ह आईने ने हैराँ कर दिया
बोले ''बैठो'' और चेहरे पर मिरे
एक चेहरा और चस्पाँ कर दिया
मेरे आगे खींच दी कैसी लकीर
इक दर-ए-बे-दर का दरबाँ कर दिया
आप फूलों तितलियों में छुप गए
हम को सहरा का निगहबाँ कर दिया
ऐसे देखा जैसे देखा ही नहीं
आज हम ने उस को हैराँ कर दिया