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ख़्वाब हूँ मैं तो मिरी ज़ात से पहले क्या था - मुसहफ़ इक़बाल तौसिफ़ी कविता - Darsaal

ख़्वाब हूँ मैं तो मिरी ज़ात से पहले क्या था

ख़्वाब हूँ मैं तो मिरी ज़ात से पहले क्या था

अभी जागा हूँ तो इस रात से पहले क्या था

अपने होने का अब एहसास हुआ है कुछ कुछ

तुझ से इस तिश्ना मुलाक़ात से पहले क्या था

मैं अगर चुप हूँ ये बहता हुआ दरिया क्या है

लब-कुशा हूँ तो मिरी बात से पहले क्या था

गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर इक निगह-ए-महर तिरी

तेरे इस लुत्फ़-ओ-इनायात से पहले क्या था

ख़ुशबुएँ किस की हैं ये रंग भरे हैं किस ने

मेरे इन ख़ाक के ज़र्रात से पहले क्या था

तुझ से क्या पूछ रहे थे ये मह ओ महर ओ नुजूम

मैं न था मेरे सवालात से पहले क्या था

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In Hindi By Famous Poet Mushaf Iqbal Tausifi. is written by Mushaf Iqbal Tausifi. Complete Poem in Hindi by Mushaf Iqbal Tausifi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.