अश्कों से ब-रंग-ए-आब हम ने
अश्कों से ब-रंग-ए-आब हम ने
दरिया को लिखा सराब हम ने
हम ख़ुद से सवाल कर रहे थे
लो ढूँड लिया जवाब हम ने
देखा नहीं उस को कितने दिन से
उँगली पे किया हिसाब हम ने
अब अपनी निगाह दरमियाँ है
देखा तुझे बे-नक़ाब हम ने
क्या क्या न हमारे जी में आई
कुछ तुम को दिया जवाब हम ने
जुगनू भी न दे सके न दे वो
माँगा नहीं आफ़्ताब हम ने
इक ग़म है उसे भी भूल जाएँ
पी रक्खी है क्या शराब हम ने
ऐसे कि सुनो तो हँस पड़ो तुम
देखे हैं अजीब ख़्वाब हम ने
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