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वो सर्दी से ठिठुरता है न गर्मी ही सताती है - मुसव्विर फ़िरोज़पुरी कविता - Darsaal

वो सर्दी से ठिठुरता है न गर्मी ही सताती है

वो सर्दी से ठिठुरता है न गर्मी ही सताती है

ये मौसम हार जाते हैं ग़रीबी जीत जाती है

मिरे रहबर हटा चश्मा तुझे मंज़र दिखाता हूँ

ये टोली भूके बच्चों की ग़ज़ब थाली बजाती है

मिरे रब चाँद पूनम का ज़रा चौरस ही कर दे तू

गोलाई देखता हूँ मैं तो रोटी याद आती है

ये मंज़र देखता हूँ मैं तो आँखें डूब जाती हैं

वो नन्ही गोद सी गुड़िया किसी का बोझ उठाती है

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In Hindi By Famous Poet Musavvir Firozpuri. is written by Musavvir Firozpuri. Complete Poem in Hindi by Musavvir Firozpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.