सादगी यूँ आज़माई जाएगी
सादगी यूँ आज़माई जाएगी
नित-नई तोहमत लगाई जाएगी
जागते गुज़री है सारी ज़िंदगी
अब हमें लोरी सुनाई जाएगी
सोच का रौज़न भी आख़िर क्यूँ रहे
रौशनी ये भी बुझाई जाएगी
सब पुराने घर गिराए जाएँगे
इक नई दुनिया बसाई जाएगी
दौड़ होगी और वो भी शौक़िया
धूल बस्ती में उड़ाई जाएगी
आसमाँ को भी न बख़्शा जाएगा
चाँद पर कालक लगाई जाएगी
ये जज़ीरा तब हमें अपनाएगा
जब हर इक कश्ती जलाई जाएगी
(455) Peoples Rate This