ग़ैर के आगे ये सर ख़म देखिए कब तक रहे
ग़ैर के आगे ये सर ख़म देखिए कब तक रहे
बे-हिसी का अब ये आलम देखिए कब तक रहे
दोस्त और दुश्मन के चेहरे ता-ब-कै वाज़ेह न हों
दीप की लौ इतनी मद्धम देखिए कब तक रहे
कब दुआएँ मुस्तजब हों कब हमारे दिन फिरें
दिल परेशाँ आँख पुर-नम देखिए कब तक रहे
रौशनी के जश्न में हाएल न थे शब के रफ़ीक़
चाँद तारे और शबनम देखिए कब तक रहे
जो मुहर्रिक है मिरे तख़्लीक़-ए-फ़न के वास्ते
फ़िक्र में ये शिद्दत-ए-ग़म देखिए कब तक रहे
कैसे कैसे सर-कशीदा झुक गए इक वार से
हाँ मगर सीना-सिपर हम देखिए कब तक रहे
बर्फ़ भी पिघलेगी और सूरज भी चमकेगा ज़रूर
सर्द-मेहरी का ये मौसम देखिए कब तक रहे
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