Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9daecd443c3333dc9e835af11ef22af7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बदन में जाग उठी कपकपाहटें कैसी - मुर्तज़ा बिरलास कविता - Darsaal

बदन में जाग उठी कपकपाहटें कैसी

बदन में जाग उठी कपकपाहटें कैसी

मैं सुन रहा हूँ ये फ़र्दा की आहटें कैसी

मकीं को याद हज़ीमत की दास्ताँ है मगर

तो उस के घर में हैं ये जगमगाहटे कैसी

शिकस्त-ए-दिल का जो एहसास अब भी ज़िंदा है

तो फिर ये होंटों पे हैं मुस्कुराहटें कैसी

वजूद टूट रहा हो तो कैसी नग़्मागरी

जो दिल सुकूँ से न हो गुनगुनाहटें कैसी

फ़राज़-ए-दार मुक़द्दर बने कि ज़हर का जाम

दयार शौक़ में अब हिचकिचाहटें कैसी

समझ के संग जिसे छू लिया बदन तो न था

रगों में दौड़ गईं सरसराहटें कैसी

क़ुबूल-ए-आम का मंसब जो मेरे फ़न को मिला

तो दोस्तों को हुईं तिलमिलाहटें कैसी

(376) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Murtaza Birlas. is written by Murtaza Birlas. Complete Poem in Hindi by Murtaza Birlas. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.