बात बे-शक न करें आप इधर देखें तो
बात बे-शक न करें आप इधर देखें तो
लोग किस हाल में हैं एक नज़र देखें तो
ख़ैर होना तो वही है जो ख़ुदा चाहेगा
फिर भी कर सकते हैं हम लोग जो कर देखें तो
तुम ने देखा है वही ख़्वाब जो मैं ने देखा
इस को कहते हैं मोहब्बत का असर देखें तो
आप इशरत-कदा-ए-ग़ैर की राखी कर के
आएँ और आ के कभी अपना भी घर देखें तो
ख़ीरगी और तपिश धूप की है ब'अद की बात
पहले ये शब तो कटे लोग सहर देखें तो
रंग चेहरों से कई लोगों के उड़ जाएगा
ज़िक्र मेरा कभी इस बज़्म में कर देखें तो
मैं भी फिर तुझ से कहूँगा कि बहा ख़ून बहा
तेरी जानिब वो कभी दीदा-ए-तर देखें तो
फिर वो यूँ औरों पे तन्क़ीद की जुरअत न करें
अपना भी चाक-ए-गरेबाँ वो मगर देखें तो
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