Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bfc439c7ac97ff991333c5cbcad75e73, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शब-ए-हिज्र में याद आना किसी का - मुर्ली धर शाद कविता - Darsaal

शब-ए-हिज्र में याद आना किसी का

शब-ए-हिज्र में याद आना किसी का

सताए हुए को सताना किसी का

कभी प्यार की बातें वो चुपके चुपके

कभी नाज़ से रूठ जाना किसी का

वो भोली अदाएँ न क्यूँ याद आएँ

लड़कपन में था क्या ज़माना किसी का

कभी थी वो ग़ुस्से की चितवन क़यामत

कभी आजिज़ी से मनाना किसी का

वो दिल बन के दाम-ए-मोहब्बत में आया

कि ज़ुल्फ़ों में था आशियाना किसी का

नज़र लग गई मेरे दुश्मन की मुझ को

क़यामत हुआ रूठ जाना किसी का

खिलाएगा गुल रंग लाएगा ऐ 'शाद'

तुझे देख कर मुस्कुराना किसी का

(458) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Murli Dhar Shad. is written by Murli Dhar Shad. Complete Poem in Hindi by Murli Dhar Shad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.