Ghazals of Murli Dhar Shad
नाम | मुर्ली धर शाद |
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अंग्रेज़ी नाम | Murli Dhar Shad |
तो वहाँ जा के बचेगा दिल-ए-होश्यार ग़लत
तेरी ये ज़ुल्फ़ें नहीं तेरे रुख़-ए-रौशन के पास
तंग आ गए हैं इश्क़ में अब ज़िंदगी से हम
शब-ए-हिज्र में याद आना किसी का
क़ातिल को तेग़-ए-नाज़ पे है नाज़ देखना
पज़मुर्दा दिल है वस्ल के अरमाँ को क्या हुआ
न कोई मेहरबाँ अपना न कोई राज़-दाँ अपना
मुँह तिरा क्यूँ आज ज़ोर-ए-ना-तवानी फिर गया
मौत आएगी जो रुस्वाई का सामाँ होगा
क्यूँ बहार आते ही पहलू में बुझा आप ही आप
कब मिटाए से मिटा रंज-ओ-सुऊबत का असर
हक़्क़-ए-ने'मत अदा नहीं होता
दोस्त बन कर वो दिलसिताँ न रहा
बस यही तो मुद्दआ है आप के इरशाद का
आशियाना मिरा बर्बाद न कर ऐ सय्याद
आशिक़ तो बद-नसीब है इस में कलाम क्या