मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नाम | मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Munshi Naubat Rai Nazar Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1866 |
मौत की तिथि | 1923 |
या दिल है मिरा या तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा है
वो शम्अ नहीं हैं कि हों इक रात के मेहमाँ
वो निगाह-ए-शर्मगीं हो या किसी का इंकिसार
वहशियों को क़ैद से छूटे हुए मुद्दत हुई
तुम ऐसे बे-ख़बर भी शाज़ होंगे इस ज़माने में
तम्हीद थी जुनूँ की गरेबाँ हुआ जो चाक
सुनता हूँ कि ख़िर्मन से है बिजली को बहुत लाग
गुफ़्तुगू की तुम से आदत हो गई है वर्ना में
फ़िक्र-ए-मआल थी न ग़म-ए-रोज़गार था
फ़ना होने में सोज़-ए-शम'अ की मिन्नत-कशी कैसी
देखना है किस में अच्छी शक्ल आती है नज़र
बनने लगे हैं दाग़ सितारे ख़ुशा नसीब
ज़ब्त से दिल नज़ार रहता है
वो तग़ाफ़ुल को इलाज-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ समझा
पस-ए-तौबा हदीस-ए-मुतरिब-ओ-पैमाना कहते हैं
मुजस्सम दाग़-ए-हसरत हूँ सरापा नक़्श-ए-इबरत का
मअनी-तराज़-ए-इश्क़ हर इक बादा-ख़्वार था
कोई मुझ सा मुस्तहिक़्क़-ए-रहम-ओ-ग़म-ख़्वारी नहीं
कोई अरमाँ तलाश-ए-दोस्त का क्यूँ दिल में रह जाता
कारोबार-ए-इश्क़ की कसरत कभी ऐसी न थी
हाथ रखते ही था हाल-ए-क़ल्ब-ए-मुज़्तर आईना