मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
नाम | मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Munshi Debi Parshad Sahar Badayuni |
शायद मिज़ाज हम से मुकद्दर है यार का
क़श्क़ा नहीं पेशानी पे उस माह-जबीं के
न लड़ाओ नज़र रक़ीबों से
मलक-उल-मौत मोअज़्ज़िन है मिरा वस्ल की रात
काफ़िर हो फिर जो शरअ' का कुछ भी करे ख़याल
जो तेरे गुनह बख़्शेगा वाइ'ज़ वो मिरे भी
हुजूम-ए-रंज-ओ-ग़म-ओ-दर्द है मरूँ क्यूँकर
हिदायत शैख़ करते थे बहुत बहर-ए-नमाज़ अक्सर
हर इक फ़िक़रे पे है झिड़की तो है हर बात पर गाली
चार बोसे तो दिया कीजिए तनख़्वाह मुझे
आँख अपनी तिरी अबरू पे जमी रहती है
ज़ीनत-ए-उनवाँ है मज़मूँ आलम-ए-तौहीद का
वस्ल से तब भरे हमारा पेट
सुब्हा से मतलब न कुछ ज़ुन्नार से
सर मिला है इश्क़ का सौदा समाने के लिए
क़ातिल के कूचे में हमा-तन जाऊँ बन के पाँव
फल है उस बुत की आश्नाई का
कुछ ग़रज़ वज्ह मुद्दआ बाइस
कहें क्या कि क्या क्या सितम देखते हैं
ईजाद ग़म हुआ दिल-ए-मुज़्तर के वास्ते
होश-ओ-शकेब-ओ-ताब-ओ-सब्र-ओ-क़रार पांचों
दिल तंग उस में रंज-ओ-अलम शोर-ओ-शर हों जम्अ'