रूठोगे बे-सबब तो मनाया न जाएगा
बेजा तुम्हारा नाज़ उठाया न जाएगा
वो साथ लाएँ ग़ैर को गर बज़्म में तो क्या
आँखों पे मिन्नतों से बिठाया न जाएगा
यूँ मेरे साथ बज़्म में ग़ैरों का बैठना
वो ए'तिराज़ है कि उठाया न जाएगा
होगा असर जो दिल में तो ख़ुद जान लेंगे वो
'मुश्ताक़' हम से इश्क़ जताया न जाएगा