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है इश्क़ में अबरू के जो काहीदा तन अपना - मुंशी बनवारी लाल शोला कविता - Darsaal

है इश्क़ में अबरू के जो काहीदा तन अपना

है इश्क़ में अबरू के जो काहीदा तन अपना

साया तिरी तलवार का होगा कफ़न अपना

उस मुँह की करें बात ज़रा मुँह को तो बनवाएें

ग़ुंचों से कहो साफ़ तो कर लें दहन अपना

पर खोले हुए करती हैं परियाँ मिरा मातम

इन्दर का उखाड़ा है ये बैत-उल-हज़न अपना

क्या कहते हैं सुन सुन के मिरे शेर को शोला

आदा के लिए तेग़ है गोया सुख़न अपना

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In Hindi By Famous Poet Munshi Banwari Lal Shola. is written by Munshi Banwari Lal Shola. Complete Poem in Hindi by Munshi Banwari Lal Shola. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.