वो बहर-ए-करम जो मेहरबाँ हो जाए
वो बहर-ए-करम जो मेहरबाँ हो जाए
हर दामन-ए-तर सुब्ह-ए-जिनाँ हो जाए
उस की रहमत जो हो ख़रीदार 'मुनीर'
जिंस-ए-इस्याँ बहुत गराँ हो जाए
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वो बहर-ए-करम जो मेहरबाँ हो जाए
हर दामन-ए-तर सुब्ह-ए-जिनाँ हो जाए
उस की रहमत जो हो ख़रीदार 'मुनीर'
जिंस-ए-इस्याँ बहुत गराँ हो जाए
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