Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d896a0ab126ad16f06a14fca9c5c6862, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं और बादल - मुनीर नियाज़ी कविता - Darsaal

मैं और बादल

शाम का बादल नए नए अंदाज़ दिखाया करता है

कभी वो नन्हा बच्चा बन कर मेरे सामने आता है

कभी वो अपना ख़ून बहा कर मेरे जी को डराता है

कभी किसी हँसमुख औरत की तरह मुझे बहलाता है

फिर आँखों से इशारा कर के कमरे में छुप जाता है

इसी तरह वो नए नए अंदाज़ दिखाया करता है

जब कोई उस को घूर के देखे नाज़ दिखाया करता है

(451) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muneer Niyazi. is written by Muneer Niyazi. Complete Poem in Hindi by Muneer Niyazi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.