मुनीर नियाज़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनीर नियाज़ी (page 9)
नाम | मुनीर नियाज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Muneer Niyazi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
दिल ख़ौफ़ में है आलम-ए-फ़ानी को देख कर
दिल का सफ़र बस एक ही मंज़िल पे बस नहीं
दिल जल रहा था ग़म से मगर नग़्मा-गर रहा
दिल अजब मुश्किल में है अब अस्ल रस्ते की तरफ़
देती नहीं अमाँ जो ज़मीं आसमाँ तो है
दश्त-ए-बाराँ की हवा से फिर हरा सा हो गया
डर के किसी से छुप जाता है जैसे साँप ख़ज़ाने में
चाँद निकला है सर-ए-क़र्या-ए-ज़ुल्मत देखो
चमन मैं रंग-ए-बहार उतरा तो मैं ने देखा
बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया
बे-हक़ीक़त दूरियों की दास्ताँ होती गई
बेगानगी का अब्र-ए-गिराँ-बार खुल गया
बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना
बस एक माह-ए-जुनूँ-ख़ेज़ की ज़िया के सिवा
बैठ जाता है वो जब महफ़िल में आ के सामने
और हैं कितनी मंज़िलें बाक़ी
अश्क-ए-रवाँ की नहर है और हम हैं दोस्तो
अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है
अपना तो ये काम है भाई दिल का ख़ून बहाते रहना
अभी मुझे इक दश्त-ए-सदा की वीरानी से गुज़रना है
आइना अब जुदा नहीं करता
आई है अब याद क्या रात इक बीते साल की
आ गई याद शाम ढलते ही