मुनीर नियाज़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनीर नियाज़ी (page 3)
नाम | मुनीर नियाज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Muneer Niyazi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
कुछ दिन के बा'द उस से जुदा हो गए 'मुनीर'
कोयलें कूकीं बहुत दीवार-ए-गुलशन की तरफ़
कोई तो है 'मुनीर' जिसे फ़िक्र है मिरी
कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
किसी अकेली शाम की चुप में
ख़्वाहिशें हैं घर से बाहर दूर जाने की बहुत
ख़्वाब होते हैं देखने के लिए
ख़ुश्बू की दीवार के पीछे कैसे कैसे रंग जमे हैं
ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे
खड़ा हूँ ज़ेर-ए-फ़लक गुम्बद-ए-सदा में 'मुनीर'
कटी है जिस के ख़यालों में उम्र अपनी 'मुनीर'
कल मैं ने उस को देखा तो देखा नहीं गया
जुर्म आदम ने किया और नस्ल-ए-आदम को सज़ा
जिन के होने से हम भी हैं ऐ दिल
जी ख़ुश हुआ है गिरते मकानों को देख कर
जंगलों में कोई पीछे से बुलाए तो 'मुनीर'
जब सफ़र से लौट कर आए तो कितना दुख हुआ
जानते थे दोनों हम उस को निभा सकते नहीं
जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी 'मुनीर'
इम्तिहाँ हम ने दिए इस दार-ए-फ़ानी में बहुत
हूँ मकाँ में बंद जैसे इम्तिहाँ में आदमी
हम भी 'मुनीर' अब दुनिया-दारी कर के वक़्त गुज़ारेंगे
हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने
है 'मुनीर' तेरी निगाह में
है 'मुनीर' हैरत-ए-मुस्तक़िल
घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआ
ग़ैर से नफ़रत जो पा ली ख़र्च ख़ुद पर हो गई