Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e4abfde3cb00e370e1faa3cc3e757edb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नगर नगर - मुनीबुर्रहमान कविता - Darsaal

नगर नगर

तिरा धियान लिए मैं नगर नगर घूमा

शरीक-ए-हाल थी तेरी नज़र की पहनाई

कि आसमान ओ समुंदर जगा दिए जिस ने

फ़ज़ा में अब्र के पैकर बना दिए जिस ने

कभी जो बैठ गया मैं शजर के साए में

तो मेरे चेहरे को छूने लगीं तिरी साँसें

हज़ार बातें थीं पत्तों के सरसराने में

हज़ार लम्स थे जिस वक़्त झुक गईं शाख़ें

दम-ए-ग़ुरूब गया बज़्म में हसीनों की

बिताईं साअतें सोहबत में नाज़नीनों की

हर आइने से झलकता तिरा गुदाज़ बदन

वो झूलते हुए फ़ानूस तेरे आवेज़े

वो मौज-ए-रंग तिरा शबनमी सा पैराहन

तुझे पुकारेगी रातों को मेरी तन्हाई

ये भूक रूह की ये इश्तिहा-ए-बे-आराम

जो एक मर्ग-ए-मुसलसल है एक सोज़-ए-दवाम

(368) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muneebur Rahman. is written by Muneebur Rahman. Complete Poem in Hindi by Muneebur Rahman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.