हिन्दोस्तान में उर्दू
दिन-दहाड़े लफ़्ज़ को बाज़ार में
क़त्ल कर डाला गया
ये ख़बर तुम ने सुनी
ये ख़बर मैं ने सुनी
और सुन कर चुप रहे
मरने वाले का कोई वारिस न था
इस लिए हुक्काम ने मक़्तूल की बे-नाम लाश
मुर्दा-घर को भेज दी
फिर ख़ुदा मा'लूम उस का क्या हुआ
एक दिन कुछ सर-फिरे
ढूँढने निकले लुग़त के मक़बरे
तो अचानक उन को ये कतबा मिला
सब से पहले लफ़्ज़ था
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