दीवाना
कोई दीवाना अगर रात गए रोता है
उस की आवाज़ बहुत दूर सुनाई देगी
चाहे लोगों को सरोकार न हो
बेबसी छाई हो ख़ामोशी हो
हर तरफ़ एक फ़रामोशी हो
फिर भी बे-ज़ार न हो
कोई दीवाना अगर रात गए रोता है
उस की आवाज़ बहुत दूर सुनाई देगी
कोई समझाए वो क्यूँ रोता है
शायद उन ख़्वाबों की ख़ातिर जो न पूरे होंगे
या ब-दस्तूर अधूरे होंगे
खोलता है कभी तन्हाई के भारी पर्दे
रौज़न-ए-दर से सितारों को चमकता देखे
बाग़-ए-नौ-ख़ास्ता हर सम्त महकता देखे
और बंजर पड़े अरमानों को सैराब करे
देखो इक बूँद गिरी ठहरे हुए पानी में
दाएरा बन गई बढ़ती ही गई
कर्ब-ए-तूफ़ान-ए-निहाँ मौज के दिल से पूछो
फैलते फैलते साहिल से जो मिल जाएगी
कोई दीवाना अगर रात गए रोता है
उस की आवाज़ बहुत दूर सुनाई देगी
(338) Peoples Rate This