Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d9a947f4907020c4ab90bf7bf3154585, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बाज़-दीद - मुनीबुर्रहमान कविता - Darsaal

बाज़-दीद

तुम जो आओ तो धुँदलके में लपट कर आओ

फिर वही कैफ़ सर-ए-शाम लिए

जब लरज़ते हैं सदाओं के सिमटते साए

और आँखें ख़लिश-ए-हसरत-ए-नाकाम लिए

हर गुज़रते हुए लम्हे को तका करती हैं

ख़ुद-फ़रेबी से हम-आग़ोश रहा करती हैं

तुम जो आओ तो अँधेरे में लपट कर आओ

शबनमी शीशों को सहलाएँ लचकती शाख़ें

और महताब-ए-ज़मिस्ताँ कोई पैग़ाम लिए

यूँ चला आए कि दर बाज़ न हो

कोई आवाज़ न हो

तुम जो आओ तो उजाले में लपट कर आओ

फिर वही लज़्ज़त-ए-अंजाम लिए

जब तमन्नाएँ किसी ख़ौफ़ से चीख़ उठती हैं

और ख़ामोशी-ए-लब सैकड़ों इबहाम लिए

एक संगीन हक़ीक़त में बदल जाती है

ज़िंदगी दर्द में ढल जाती है

(330) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muneebur Rahman. is written by Muneebur Rahman. Complete Poem in Hindi by Muneebur Rahman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.