एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
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माँ ख़्वाब में आ कर ये बता जाती है हर रोज़
थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
ये बुत जो हम ने दोबारा बना के रक्खा है
लिपस्टिक
किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा
मुझ को गहराई में मिट्टी की उतर जाना है
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया
वुसअत-ए-सहरा भी मुँह अपना छुपा कर निकली