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हज़ार शुक्र कि अंदेशा-ए-मआल गया - मुनव्वर लखनवी कविता - Darsaal

हज़ार शुक्र कि अंदेशा-ए-मआल गया

हज़ार शुक्र कि अंदेशा-ए-मआल गया

कोई किसी से जो कहने को दिल का हाल गया

कहाँ कहाँ नहीं दोनों को दस्तरस हासिल

वहीं निगाह भी पहुँची जहाँ ख़याल गया

जवाब में न खुलें लब तो क्या इलाज उस का

हँसी हँसी में कोई मेरी बात टाल गया

अजब थीं फ़लसफ़ी-ए-ना-मुराद की बातें

यक़ीं के साथ मिरे दिल में शक भी डाल गया

क़दम क़दम पे हुए होश गुम 'मुनव्वर' के

तलाश-ए-दोस्त का सौदा गया ख़याल गया

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In Hindi By Famous Poet Munawwar Lakhnavi. is written by Munawwar Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Munawwar Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.