हज़ार शुक्र कि अंदेशा-ए-मआल गया
हज़ार शुक्र कि अंदेशा-ए-मआल गया
कोई किसी से जो कहने को दिल का हाल गया
कहाँ कहाँ नहीं दोनों को दस्तरस हासिल
वहीं निगाह भी पहुँची जहाँ ख़याल गया
जवाब में न खुलें लब तो क्या इलाज उस का
हँसी हँसी में कोई मेरी बात टाल गया
अजब थीं फ़लसफ़ी-ए-ना-मुराद की बातें
यक़ीं के साथ मिरे दिल में शक भी डाल गया
क़दम क़दम पे हुए होश गुम 'मुनव्वर' के
तलाश-ए-दोस्त का सौदा गया ख़याल गया
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