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जब ज़माने में फ़क़त अफ़्सुर्दगी रह जाएगी - मुनव्वर हाशमी कविता - Darsaal

जब ज़माने में फ़क़त अफ़्सुर्दगी रह जाएगी

जब ज़माने में फ़क़त अफ़्सुर्दगी रह जाएगी

मेरी आँखों में किरन उम्मीद की रह जाएगी

सुब्ह-दम आ जाएगा उस का पयाम-ए-माज़रत

जिस की ख़ातिर आँख शब भर जागती रह जाएगी

खिल रहे हैं सोच के सहरा में यादों के गुलाब

तू न होगा तो यहाँ ख़ुशबू तिरी रह जाएगी

वक़्त की सरकश हवाओ! जब दिया बुझ जाएगा

सुब्ह की सूरत में उस की रौशनी रह जाएगी

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In Hindi By Famous Poet Munawwar Hashmi. is written by Munawwar Hashmi. Complete Poem in Hindi by Munawwar Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.