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हम अपनी जागती आँखों में ख़्वाब ले के चले - मुनव्वर हाशमी कविता - Darsaal

हम अपनी जागती आँखों में ख़्वाब ले के चले

हम अपनी जागती आँखों में ख़्वाब ले के चले

वो क्या सवाल थे जिन के जवाब ले के चले

पहन ली कर्ब की पोशाक राह-ए-हस्ती में

हम अपने वास्ते ख़ुद ही अज़ाब ले के चले

ये और बात के जुगनू असीर कर न सके

हथेलियों पे मगर आफ़्ताब ले के चले

वरक़ वरक़ पे सजाई है ख़ून की तहरीर

कि शे'र शे'र नया इंतिख़ाब ले के चले

जिधर जिधर से भी गुज़रे बिछा दिया सैलाब

हम अश्क ले के चले या चनाब ले के चले

उन्ही के हाथ 'मुनव्वर' लहूलुहान हुए

जो लोग मेरे चमन से गुलाब ले के चले

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In Hindi By Famous Poet Munawwar Hashmi. is written by Munawwar Hashmi. Complete Poem in Hindi by Munawwar Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.