Ghazals of Mumtaz Naseem
नाम | मुमताज़ नसीम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Mumtaz Naseem |
तुझे कैसे इल्म न हो सका बड़ी दूर तक ये ख़बर गई
मिरी ज़िंदगी की किताब का है वरक़ वरक़ यूँ सजा हुआ
जिसे मैं ने सुब्ह समझ लिया कहीं ये भी शाम-ए-अलम न हो
चलते चलते ये हालत हुई राह में बिन पिए मय-कशी का मज़ा आ गया