Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_65fcd71df2c79f83c602f10835dafb97, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
किसी की याद को अपना शिआ'र कर लेंगे - मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी कविता - Darsaal

किसी की याद को अपना शिआ'र कर लेंगे

किसी की याद को अपना शिआ'र कर लेंगे

फ़ज़ा-ए-दहर को हम साज़गार कर लेंगे

हम अपने ग़म को ख़ुशी में शुमार कर लेंगे

ख़िज़ाँ के दौर में जश्न-ए-बहार कर लेंगे

रसाई होगी जो इस बज़्म में कभी अपनी

नसीब वालों में अपना शुमार कर लेंगे

कभी मिलेगा जो इज़्न-ए-उबूदियत हम को

तो एक साँस में सज्दे हज़ार कर लेंगे

रहा करम जो तुम्हारा तो बहर-ए-हस्ती से

हम अपनी कश्ती-ए-उम्मीद पार कर लेंगे

तिरी तलाश में आएँगे काम दाग़-ए-जिगर

हम उन से रौशनी-ए-रह-गुज़र कर लेंगे

ख़ुशी से मिलने लगे हैं वो आज कल हम से

हम अपनी ज़ीस्त को अब ख़ुश-गवार कर लेंगे

नज़र है दर पे हमारी कि दम है आँखों में

अभी कुछ और तिरा इंतिज़ार कर लेंगे

हम अपने ख़ल्क़ की दुनिया सँवार कर 'ख़ुशतर'

हुसूल-ए-रहमत-ए-पर्वरदिगार कर लेंगे

(442) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. is written by Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. Complete Poem in Hindi by Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.