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फ़रेब-ए-हुस्न नज़र का दिखाई देता है - मुख़तार शमीम कविता - Darsaal

फ़रेब-ए-हुस्न नज़र का दिखाई देता है

फ़रेब-ए-हुस्न नज़र का दिखाई देता है

हमें हर एक जो अच्छा दिखाई देता है

शुऊर-ए-ग़म के दरीचे तो वा करो यारो

फ़सील-ए-शब पे उजाला दिखाई देता है

यहाँ सब अपनी सलीबें उठाए फिरते हैं

हर एक शख़्स मसीहा दिखाई देता है

हमारे दर्द को पढ़ लो खुली किताब हैं हम

हर एक चेहरा ये कहता दिखाई देता है

'शमीम' आइए फ़िक्र-ए-सुख़न-शिआ'र करें

यही फ़रार का रस्ता दिखाई देता है

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In Hindi By Famous Poet Mukhtar Shameem. is written by Mukhtar Shameem. Complete Poem in Hindi by Mukhtar Shameem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.