Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c07791cb98d91f84f519886655c3e770, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हदफ़ हूँ दुश्मन-ए-जाँ की नज़र में रहता हूँ - मुख़तार जावेद कविता - Darsaal

हदफ़ हूँ दुश्मन-ए-जाँ की नज़र में रहता हूँ

हदफ़ हूँ दुश्मन-ए-जाँ की नज़र में रहता हूँ

किसे ख़बर है क़फ़स में कि घर में रहता हूँ

इधर-उधर के किनारे मुझे बुलाते हैं

मगर मैं अपनी ख़ुशी से भँवर में रहता हूँ

न मैं ज़मीं हूँ न तू आफ़्ताब है फिर भी

तिरे तवाफ़ की ख़ातिर सफ़र में रहता हूँ

मैं साया-दार नहीं इस के बावजूद ये देख

पहन के धूप तिरी रहगुज़र में रहता हूँ

ये कैसी चिढ़ है मुझे तीरगी के आलम से

कि मैं चराग़ हूँ लेकिन सहर में रहता हूँ

मुझे ग़रज़ है फ़क़त उस की इस्तक़ामत से

बहार हो कि ख़िज़ाँ मैं शजर में रहता हूँ

मुझे शनाख़्त करो मेरे शाहकारों में

मैं ख़ाल-ओ-ख़त से ज़ियादा हुनर में रहता हूँ

(396) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Mukhtar Javed. is written by Mukhtar Javed. Complete Poem in Hindi by Mukhtar Javed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.