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नज़र-नवाज़ है हुस्न-ए-ख़जिस्ता-पय अब भी - मुख़्तार हाशमी कविता - Darsaal

नज़र-नवाज़ है हुस्न-ए-ख़जिस्ता-पय अब भी

नज़र-नवाज़ है हुस्न-ए-ख़जिस्ता-पय अब भी

खटक रही है मगर दिल में कोई शय अब भी

ब-क़ैद-ए-तौबा वही एहतिराम है अब भी

मिरी नज़र में है ख़ुर्शीद-ए-जाम-ए-मय अब भी

मैं ग़र्क़-ए-बे-ख़ुदी-ए-शौक़ ही सही लेकिन

तुम्हें पुकार लूँ इतना तो होश है अब भी

ये ज़र्फ़ है मिरा ऐ राहबर-नुमा रहज़न

कि चल रहा हूँ तिरे साथ पय-ब-पय अब भी

ग़लत नहीं कि हो तुम जादा-आज़मा-ए-हरम

न होगी राह-ए-वफ़ा शैख़ तुम से तय अब भी

वो सोज़-ओ-साज़-ए-ग़म-ए-इश्क़ अब कहाँ लेकिन

निकलती है मिरे नग़्मों से ग़म की लय अब भी

कभी इधर से कोई नय-नवाज़ गुज़रा था

फ़ज़ा में गूँज रही है सदा-ए-नय अब भी

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In Hindi By Famous Poet Mukhtar Hashmi. is written by Mukhtar Hashmi. Complete Poem in Hindi by Mukhtar Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.