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रफ़्ता रफ़्ता होश मुझ को इस क़दर आ जाएगा - मुकेश आलम कविता - Darsaal

रफ़्ता रफ़्ता होश मुझ को इस क़दर आ जाएगा

रफ़्ता रफ़्ता होश मुझ को इस क़दर आ जाएगा

आँसुओं को गीत लिखने का हुनर आ जाएगा

ढूँडना मेरी तहों में प्यास अपनी के निशाँ

मेरी आँखों में समुंदर भी नज़र आ जाएगा

अपने सीने में दबा रक्खा है मैं नें उस का दिल

आख़िरश थक जाएगा तो अपने घर आ जाएगा

रौशनाई न सही 'आलम' लिखेगा दास्ताँ

काम अपने एक दिन ख़ून-ए-जिगर आ जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Mukesh Alam. is written by Mukesh Alam. Complete Poem in Hindi by Mukesh Alam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.