Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_799da7cca3728ea006a559963fbd905b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ - मुजीब ख़ैराबादी कविता - Darsaal

मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ

मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ

मिरे साथ साथ चले चलो में नई सहर का पयाम हूँ

मिरे नक़्श-ए-पा न मिटे अगर तो चमक उठेंगे ये रास्ते

मिरे क़ाफ़िले को ख़बर करो मैं हरीफ़-ए-ज़ुल्मत-ए-शाम हूँ

वही रोज़-ओ-शब वही ज़ुल्मतें वही मरहले वही गर्दिशें

जो कभी तमाम न हो सके वो हदीस-ए-नीम-तमाम हों

कहीं सुब्ह है कहीं शाम है मुझे ख़ुद भी अपना पता नहीं

मिरा क्या सुराग़ मिले तुम्हें अभी बे-दयार-ओ-क़याम हूँ

दिल-ए-दर्द-मंद को आज भी है 'मुजीब' हसरत-ए-राज़-दाँ

मैं वो एक नग़्मा-ए-आरज़ू कि ख़ुद अपने लब पे हराम हूँ

(367) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Mujeeb Khairabadi. is written by Mujeeb Khairabadi. Complete Poem in Hindi by Mujeeb Khairabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.