मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ
मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ
मिरे साथ साथ चले चलो में नई सहर का पयाम हूँ
मिरे नक़्श-ए-पा न मिटे अगर तो चमक उठेंगे ये रास्ते
मिरे क़ाफ़िले को ख़बर करो मैं हरीफ़-ए-ज़ुल्मत-ए-शाम हूँ
वही रोज़-ओ-शब वही ज़ुल्मतें वही मरहले वही गर्दिशें
जो कभी तमाम न हो सके वो हदीस-ए-नीम-तमाम हों
कहीं सुब्ह है कहीं शाम है मुझे ख़ुद भी अपना पता नहीं
मिरा क्या सुराग़ मिले तुम्हें अभी बे-दयार-ओ-क़याम हूँ
दिल-ए-दर्द-मंद को आज भी है 'मुजीब' हसरत-ए-राज़-दाँ
मैं वो एक नग़्मा-ए-आरज़ू कि ख़ुद अपने लब पे हराम हूँ
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