मुजीब ख़ैराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुजीब ख़ैराबादी
नाम | मुजीब ख़ैराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mujeeb Khairabadi |
यही नहीं कि बस ग़म-ए-सफ़र हमारे साथ है
सूरज की सुनहरी किरनों से ताबिंदा रुख़-ए-आलम न सही
मिस्ल-ए-अब्र-ए-करम हम जहाँ भी गए दश्त के दश्त गुलज़ार बनते गए
मिरे साथियो मिरे हमदमो ये बजा कि तेज़-ख़िराम हूँ
मेरा जुनूँ शर्मसार देखिए कब तक रहे
कितने ख़्वाब टूटे हैं कितने चाँद गहनाए
हम अहल-ए-अज़्म अगर दिल से जुस्तुजू करते
अपनों का ये आलम क्या कहिए मिलते हैं तो बेगानों की तरह