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अफ़्कार के जिगर में रक़्साँ रफ़ू की ख़्वाहिश - मुजीब ईमान कविता - Darsaal

अफ़्कार के जिगर में रक़्साँ रफ़ू की ख़्वाहिश

अफ़्कार के जिगर में रक़्साँ रफ़ू की ख़्वाहिश

एहसास के सुबू में जैसे नुमू की ख़्वाहिश

अज़्मत के आइने में अपनाइयत का पैकर

तस्लीम की तमन्ना है तुम से तू की ख़्वाहिश

तन्हाई की तपिश से क़िंदील क़ुर्बतों की

रिश्तों की ताज़गी से है गुफ़्तुगू की ख़्वाहिश

सहरा के संग-रेज़े कोहसार के करिश्मे

जिन की जलन का तेशा है आब-ए-जू की ख़्वाहिश

ख़ूबी पे ख़ुश न होना इंसानियत से नफ़रत

अहबाब की बुराई ख़ुद से अदू की ख़्वाहिश

आतिश अना की उभरे ख़िर्मन ख़ुदी का झुलसे

'ईमान' कैसे जागे, हो आबरू की ख़्वाहिश!

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In Hindi By Famous Poet Mujeeb Iman. is written by Mujeeb Iman. Complete Poem in Hindi by Mujeeb Iman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.