अफ़्कार के जिगर में रक़्साँ रफ़ू की ख़्वाहिश
अफ़्कार के जिगर में रक़्साँ रफ़ू की ख़्वाहिश
एहसास के सुबू में जैसे नुमू की ख़्वाहिश
अज़्मत के आइने में अपनाइयत का पैकर
तस्लीम की तमन्ना है तुम से तू की ख़्वाहिश
तन्हाई की तपिश से क़िंदील क़ुर्बतों की
रिश्तों की ताज़गी से है गुफ़्तुगू की ख़्वाहिश
सहरा के संग-रेज़े कोहसार के करिश्मे
जिन की जलन का तेशा है आब-ए-जू की ख़्वाहिश
ख़ूबी पे ख़ुश न होना इंसानियत से नफ़रत
अहबाब की बुराई ख़ुद से अदू की ख़्वाहिश
आतिश अना की उभरे ख़िर्मन ख़ुदी का झुलसे
'ईमान' कैसे जागे, हो आबरू की ख़्वाहिश!
(406) Peoples Rate This