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सर्द आज-कल इस दर्जा ज़माने की हवा है - मुहीउद्दीन फ़ौक़ कविता - Darsaal

सर्द आज-कल इस दर्जा ज़माने की हवा है

सर्द आज-कल इस दर्जा ज़माने की हवा है

अंजाम के एहसास से दिल काँप रहा है

वो शक्ल जो आते ही नज़र हो गई ग़ाएब

जादू है कि बिजली कि छलावा कि बला है

कश्मीर जिसे कहते हैं सब ग़ैरत-ए-फ़िरदौस

जब तू ही नहीं है पास तो दोज़ख़ से सिवा है

कोहसार पर ये अब्र के फिरते हुए साए

इक आलम-ए-शादाब तुझे ढूँढ रहा है

गर बादिला सर पर है तो मख़मल है तह-ए-पा

अल-क़िस्सा अजब मंज़र-ए-पुर-जे़ब-ओ-ज़िया है

आ और मिरी चश्म-ए-तसव्वुर में समा जा

आईना तिरा देर से बे-अक्स पड़ा है

ऐ 'फ़ौक़' मैं हूँ इस लिए मुहताज-ए-रिफ़ाक़त

तन्हा रह-ए-मंज़िल में कोई छोड़ गया है

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In Hindi By Famous Poet Muhiuddin Fauq. is written by Muhiuddin Fauq. Complete Poem in Hindi by Muhiuddin Fauq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.