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जहान-ए-ताज़ा के अफ़्कार साथ ले जाओ - मुहिब कौसर कविता - Darsaal

जहान-ए-ताज़ा के अफ़्कार साथ ले जाओ

जहान-ए-ताज़ा के अफ़्कार साथ ले जाओ

मिरी ग़ज़ल मिरे अशआ'र साथ ले जाओ

क़दम क़दम पे यहाँ डिग्रियाँ तो मिलती हैं

ख़ुदा के वास्ते मेआ'र साथ ले जाओ

रह-ए-हयात में इंसानियत भी बिकती है

ज़रा सँभाल के किरदार साथ ले जाओ

दयार-ए-ग़ैर में पूछेगा ख़ैरियत कोई

तुम अपने शहर का अख़बार साथ ले जाओ

दिलों के बीच जहाँ हो अदावतों की ख़लीज

वहाँ ख़ुलूस की पतवार साथ ले जाओ

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In Hindi By Famous Poet Muhib Kausar. is written by Muhib Kausar. Complete Poem in Hindi by Muhib Kausar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.