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ख़िरद यक़ीं के सुकूँ-ज़ार की तलाश में है - मुहिब आरफ़ी कविता - Darsaal

ख़िरद यक़ीं के सुकूँ-ज़ार की तलाश में है

ख़िरद यक़ीं के सुकूँ-ज़ार की तलाश में है

ये धूप साया-ए-दीवार की तलाश में है

ख़ता चमन की कि है मुब्तला-ए-लाला-ओ-गुल

बहार सिर्फ़ ख़स-ओ-ख़ार की तलाश में है

छलक रहा है क़बा-ए-हया से उस का शबाब

शराब जुरअत-ए-मय-ख़्वार की तलाश में है

वो नुक़्ता हूँ जो भरम है नुक़ूश-ए-हस्ती का

ज़माना क्या मिरे असरार की तलाश में है

वो औज हूँ जो ख़लल है निज़ाम-ए-पस्ती का

वो जुर्म हूँ जो सर-ए-दार की तलाश में है

ख़स आज़मा है 'मुहिब' शो'ला-ज़ार बातिल से

नया ख़लील है गुलज़ार की तलाश में है

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In Hindi By Famous Poet Muhib Aarfi. is written by Muhib Aarfi. Complete Poem in Hindi by Muhib Aarfi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.