यूँ लगता है सब कुछ खोने आया था
यूँ लगता है सब कुछ खोने आया था
मैं इस घर में तुझ को रोने आया था
तू मेरे हमराह तो आया था लेकिन
तन्हाई के काँटे बोने आया था
मैं उस के दीदार से कब सैराब हुआ
वो तो बस दामन को भिगोने आया था
मैं तकता था उस को प्यासे होंटों से
बादल मेरी नाव डुबोने आया था
गहरी नींद से मुझ को जगा कर छोड़ गया
ख़्वाब मिरी आँखों में सोने आया था
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