यहाँ से डूब कर जाना है मुझ को
समुंदर में उतर जाना है मुझ को
अभी तो कू-ब-कू है ख़ाक मेरी
अभी तो दर-ब-दर जाना है मुझ को
कभी जाते हुए लम्बे सफ़र पर
अचानक ही ठहर जाना है मुझ को
ये हसरत है कहूँ मैं दोस्तों से
हुई अब शाम घर जाना है मुझ को
तुझे अपना सभी कुछ सौंपना है
तिरे दामन में भर जाना है मुझ को