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सियानी - मुबश्शिर अली ज़ैदी कविता - Darsaal

सियानी

वो लड़की हर पहेली बूझ लेती है

उसे हर मुअ'म्मा हल करना आता है

हर उलझन को सुलझा लेती है

हर मसअले का हल तलाश कर लेती है

हर मुश्किल को आसान बना देती है

हर परेशानी दूर कर देती है

चाँद के उस पार की ख़बर ले आती है

गहरे समुंदर की तह में झाँक लेती है

हथेली पर नक़्श लकीरें पढ़ सकती है

चेहरे पर उभरी हुई तहरीरें समझ जाती है

आँखों में छुपे हुए दर्द जान लेती है

तमाम सवालात के जवाब उसे आते हैं

बस मेरे एक सवाल का जवाब कभी नहीं देती

वो लड़की है या कोई पहेली है

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